Hierarchically porous materials: Synthesis strategies and emerging applications
Minghui Sun , Chen Chen , Lihua Chen , Baolian Su
Front. Chem. Sci. Eng. ›› 2016, Vol. 10 ›› Issue (3) : 301 -347.
Hierarchically porous materials: Synthesis strategies and emerging applications
Great interests have arisen over the last decade in the development of hierarchically porous materials. The hierarchical structure enables materials to have maximum structural functions owing to enhanced accessibility and mass transport properties, leading to improved performances in various applications. Hierarchical porous materials are in high demand for applications in catalysis, adsorption, separation, energy and biochemistry. In the present review, recent advances in synthesis routes to hierarchically porous materials are reviewed together with their catalytic contributions.
hierarchically porous materials / synthesis / application
| [1] |
|
| [2] |
|
| [3] |
|
| [4] |
|
| [5] |
|
| [6] |
|
| [7] |
|
| [8] |
|
| [9] |
|
| [10] |
|
| [11] |
|
| [12] |
|
| [13] |
|
| [14] |
|
| [15] |
|
| [16] |
|
| [17] |
|
| [18] |
|
| [19] |
|
| [20] |
|
| [21] |
|
| [22] |
|
| [23] |
|
| [24] |
|
| [25] |
|
| [26] |
|
| [27] |
|
| [28] |
|
| [29] |
|
| [30] |
|
| [31] |
|
| [32] |
|
| [33] |
|
| [34] |
|
| [35] |
|
| [36] |
|
| [37] |
|
| [38] |
|
| [39] |
|
| [40] |
|
| [41] |
|
| [42] |
|
| [43] |
|
| [44] |
|
| [45] |
|
| [46] |
|
| [47] |
|
| [48] |
|
| [49] |
|
| [50] |
|
| [51] |
|
| [52] |
|
| [53] |
|
| [54] |
|
| [55] |
|
| [56] |
|
| [57] |
|
| [58] |
|
| [59] |
|
| [60] |
|
| [61] |
|
| [62] |
|
| [63] |
|
| [64] |
|
| [65] |
|
| [66] |
|
| [67] |
|
| [68] |
|
| [69] |
|
| [70] |
|
| [71] |
|
| [72] |
|
| [73] |
|
| [74] |
|
| [75] |
|
| [76] |
|
| [77] |
|
| [78] |
|
| [79] |
|
| [80] |
|
| [81] |
|
| [82] |
|
| [83] |
|
| [84] |
|
| [85] |
|
| [86] |
|
| [87] |
|
| [88] |
|
| [89] |
|
| [90] |
|
| [91] |
|
| [92] |
|
| [93] |
|
| [94] |
|
| [95] |
|
| [96] |
|
| [97] |
|
| [98] |
|
| [99] |
|
| [100] |
|
| [101] |
|
| [102] |
|
| [103] |
|
| [104] |
|
| [105] |
|
| [106] |
|
| [107] |
|
| [108] |
|
| [109] |
|
| [110] |
|
| [111] |
|
| [112] |
|
| [113] |
|
| [114] |
|
| [115] |
|
| [116] |
|
| [117] |
|
| [118] |
|
| [119] |
|
| [120] |
|
| [121] |
|
| [122] |
|
| [123] |
|
| [124] |
|
| [125] |
|
| [126] |
|
| [127] |
|
| [128] |
|
| [129] |
|
| [130] |
|
| [131] |
|
| [132] |
|
| [133] |
|
| [134] |
|
| [135] |
|
| [136] |
|
| [137] |
|
| [138] |
|
| [139] |
|
| [140] |
|
| [141] |
|
| [142] |
|
| [143] |
|
| [144] |
|
| [145] |
|
| [146] |
|
| [147] |
|
| [148] |
|
| [149] |
|
| [150] |
|
| [151] |
|
| [152] |
|
| [153] |
|
| [154] |
|
| [155] |
|
| [156] |
|
| [157] |
|
| [158] |
|
| [159] |
|
| [160] |
|
| [161] |
|
| [162] |
|
| [163] |
|
| [164] |
|
| [165] |
|
| [166] |
|
| [167] |
|
| [168] |
|
| [169] |
|
| [170] |
|
| [171] |
|
| [172] |
|
| [173] |
|
| [174] |
|
| [175] |
|
| [176] |
|
| [177] |
|
| [178] |
|
| [179] |
|
| [180] |
|
| [181] |
|
| [182] |
|
| [183] |
|
| [184] |
|
| [185] |
|
| [186] |
|
| [187] |
|
| [188] |
|
| [189] |
|
| [190] |
|
| [191] |
|
| [192] |
|
| [193] |
|
| [194] |
|
| [195] |
|
| [196] |
|
| [197] |
|
| [198] |
|
| [199] |
|
| [200] |
|
| [201] |
|
| [202] |
|
| [203] |
|
| [204] |
|
| [205] |
|
| [206] |
|
| [207] |
|
| [208] |
|
| [209] |
|
| [210] |
|
| [211] |
|
| [212] |
|
| [213] |
|
| [214] |
|
| [215] |
|
| [216] |
|
| [217] |
|
| [218] |
|
| [219] |
|
| [220] |
|
| [221] |
|
| [222] |
|
| [223] |
|
| [224] |
|
| [225] |
|
| [226] |
|
| [227] |
|
| [228] |
|
| [229] |
|
| [230] |
|
| [231] |
|
| [232] |
|
| [233] |
|
| [234] |
|
| [235] |
|
| [236] |
|
| [237] |
|
| [238] |
|
| [239] |
|
| [240] |
|
| [241] |
|
| [242] |
|
| [243] |
|
| [244] |
|
| [245] |
|
| [246] |
|
| [247] |
|
| [248] |
|
| [249] |
|
| [250] |
|
| [251] |
|
| [252] |
|
| [253] |
|
| [254] |
|
| [255] |
|
| [256] |
|
| [257] |
|
| [258] |
|
| [259] |
|
| [260] |
|
| [261] |
|
| [262] |
|
| [263] |
|
| [264] |
|
| [265] |
|
| [266] |
|
| [267] |
|
| [268] |
|
| [269] |
|
| [270] |
|
| [271] |
|
| [272] |
|
| [273] |
|
| [274] |
|
| [275] |
|
| [276] |
|
| [277] |
|
| [278] |
|
| [279] |
|
| [280] |
|
| [281] |
|
| [282] |
|
| [283] |
|
| [284] |
|
| [285] |
|
| [286] |
|
| [287] |
|
| [288] |
|
| [289] |
|
| [290] |
|
| [291] |
|
| [292] |
|
| [293] |
|
| [294] |
|
| [295] |
|
| [296] |
|
| [297] |
|
| [298] |
|
| [299] |
|
| [300] |
|
| [301] |
|
| [302] |
|
| [303] |
|
| [304] |
|
| [305] |
|
| [306] |
|
| [307] |
|
| [308] |
|
| [309] |
|
| [310] |
|
| [311] |
|
| [312] |
|
| [313] |
|
| [314] |
|
| [315] |
|
| [316] |
|
| [317] |
|
| [318] |
|
| [319] |
|
| [320] |
|
| [321] |
|
| [322] |
|
| [323] |
|
| [324] |
|
| [325] |
|
| [326] |
|
| [327] |
|
| [328] |
|
| [329] |
|
| [330] |
|
| [331] |
|
| [332] |
|
| [333] |
|
| [334] |
|
| [335] |
|
| [336] |
|
| [337] |
|
| [338] |
|
| [339] |
|
| [340] |
|
| [341] |
|
| [342] |
|
| [343] |
|
| [344] |
|
| [345] |
|
| [346] |
|
| [347] |
|
| [348] |
|
| [349] |
|
| [350] |
|
| [351] |
|
| [352] |
|
| [353] |
|
| [354] |
|
| [355] |
|
| [356] |
|
| [357] |
|
| [358] |
|
| [359] |
|
| [360] |
|
| [361] |
|
| [362] |
|
| [363] |
|
| [364] |
|
| [365] |
|
| [366] |
|
| [367] |
|
| [368] |
|
Higher Education Press and Springer-Verlag Berlin Heidelberg
/
| 〈 |
|
〉 |